Wednesday, January 27, 2010

क्या आप जानते हैं इस देश में कितने बाबा हैं ?




क्या आप जानते हैं इस देश में कितने बाबा हैं ? इस सवाल के बाद आपके मस्तिष्क में सांई बाबा, बाबा रामदेव की तस्वीर उभरनी जायज है। लेकिन मैं उक्त बाबाओं के बारें में बात नहीं कर रहा हूं। मैं उन बाबाओं के बारे में बात कर रहा हूं जो प्रतिदिन किसी व्यक्ति को बेवकूफ बनाते हैं। जो हर बात पर भगवान का नाम लेते हैं और साथ ही दोगुना पाप भी करते हैं। मेरा उद्देश्य आपकी आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं है। आशा है आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे।
मैं आज वैसे बाबा का जिक्र करूंगा जो भारत के लगभग 638,365 गांवों में अपना वर्चस्व कायम रखे हुए हैं। पहले औघड़ बाबा की बात की जाए। दीन दुनिया की समस्याओं से दूर नग्न रहना इस बाबा की विशेषता है। पीर बाबा लोगों की पीड़ा दूर करते हैं। इलाहाबाद के पास वाराणसी रोड पर लीला बाबा है का नाम बरबस याद आ जाता है। कहते हैं बाबा ने अन्न त्याग कर अपना देह त्याग दिया था। हिमालय पर्वत में कई साल तपस्या करने के बाद एक बाबा उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आए लोगों ने बाबा का नाम देवरहा रख दिया। इस तरह कई और बाबा हैं जो समाज में सम्मानजनक हैं।
समाज में वैसे भी बाबा हैं जो दवा के नाम पर चूरण बेचते हैं। उस चूरण से किसी की बीमारी जाए या ना जाए पर बाबा का गुजारा जरूर चल जाता है। इस श्रेणी के बाबा तांत्रिक कहलाते हैं और अपने प्रचार के लिए अपने चेले चपाटियों का भरपूर उपयोग करते हैं। जब ऐसे बाबा का जिक्र हो तो हाशमी बाबा का जिक्र होना जायज है। ये बाबा समाज में किसी को नामर्द नहीं रहने की कसम खाई है। यूपी के लगभग 60 फीसदी घरों के दिवारों पर ऐसे बाबा का नाम और काम बड़े और लुभावने अक्षरों में लिखा मिल जाता है।
बंगाली बाबा का नाम अचानक ही याद आ जाता है। बंगाली बाबा कोई मान्यता प्राप्त बाबा नहीं है। पर बंगाली बाबा का नामकरण अपने आप में एक विचित्र घटना है। बंगाली बाबा का नामकरण उनके दोस्तों ने बात – बात पर रख दिया। हुआ यूं की बंगाली बाबा बात – बात पर बाबा शब्द का इस्तेमाल करते थे। बाबा रे, हुड़ी बाबा मजमून तो आपने सुना ही होगा। यह शब्द उनके दोस्तों को बहुत भा गया और हुड़ी और रे को परे रखकर उनका नाम बंगाली बाबा ठोक दिया।
दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास बाबा खड़गसिंह मार्ग है। इस मार्ग का अन्य बाबाओं से कोई लेना – देना नहीं है। मैं और कई ऐसे बाबाओं को जानता हूं जो तथाकथित बकैत होते हैं। फायर बाबा का नाम शायद कुछ लोगों को याद आ जाए। फायर बाबा बहुत जल्द ही किसी बात पर फायर हो जाते हैं, मतलब गुस्सा हो जाते हैं। वैसे तो सूची बहुत लंबी है लेकिन अंत में मेटल बाबा आते हैं जिसे आना तो पहले चाहिए था लेकिन वो हमेशा बाद में ही आते हैं। ये बाबा अपने आप को बाबा कहलवाने में ज्यादा खुशी महसूस करते हैं। इस बाबा को ना तो समाज ने और ना ही उनके दोस्तों ने बाबा बनाया। जैसे स्वंय भू कलाकार, स्वंय भू पत्रकार होते हैं वैसे ही ये स्वंय भू बाबा हैं। कभी किसी से नाराज ना होना, अपने काम से काम रखना और जबरदस्त पीआर मेनटेन करना मेटल बाबा की खाशियत है।

फोटो - गूगल

2 comments:

  1. फर्क सिर्फ इतना है की रामदेव बाबा कॉरपरेट हो गए हैं, और गाँव वाले बाबा, जैसे तैसे अपनी परचून की दुकान चला रहे हैं...

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  2. baba jab apni bhumika badal lae tho esi batae samnae aa jati hai

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