Friday, January 8, 2010

समाचार

नीचे दो समाचार है, इसे देश के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान के एक छात्र ने लिखा है।

केन्द्रीय विद्यालय प्राथमिक का यह है हाल
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नई दिल्ली 7 जनवरी 2010भारतीय शिक्षा प्रणाली जिस तरह कि है।वह बहुत अच्छी है।पर जिस तरह हमारा संविधान में लचिलापन है। उसी तरह स्कूलों में अध्यापकों का लचिलापन देखने को मिला है। जवाहरलाल नेहरू विशवविद्यालय के परिसर में प्राथमिक विद्यालय से पता चला कि वहां के प्रधानाचार्य कहतें हैं कि हमारे विद्यालय में पढ़ाई अच्छी चलती है। और जब बच्चों की कक्षा में जाकर देखा तो कुछ और ही नजर आया। कहावत है कि हाथि (हाथी) के दॉंत दिखाने के और खाने के और होतें हैं। उसी तरह हमारे देश के विद्यालयों की स्थिती है। कक्षा में हल्ला होता है। और अध्यापक कहता बच्चे पढ़ रहे हैं। एक दूसरे से बातें करके गाली गलोच कर रहे हैं। इस सारी प्रक्रिया को अध्यापक दोहरा रहे हैं। आपस में स्टाप से वह कक्षा के पास अध्यापक से बात करना जरूरी समझते हैं। विद्यालय के चपरासी अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं। पर गप्पे मारने में वो भी कम नही है। विद्यालय के मुख्य दरवाजे के पास कुर्सी पर बैठकर छात्रों के अभिभावकों से मजाक करना वह एक दूसरे की कटती करना उनकी आदत में आ गया है। अगर ये हाल केंद्रीय विद्यालयों का है तो दिल्ली के नगर निगम विद्यालयों का क्या होगा।

निजी स्कूलो के पास नहीं है मान्यता का कोई सबूत
नई दिल्ली 8 जनवरी 2010
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दिल्ली प्रदेश के अन्दर बहुत निजी स्कूल है। पर किसी के पास दिल्ली सरकार मान्यता प्राप्त तो है। पर अध्यापक योग्यता प्राप्त नहीं है। और जिन विद्यालय के पास मान्यका प्राप्त नहीं है। और अध्यापक भी योग्यता प्राप्त नहीं है। उन विदयालयों का मालिक छात्रों के अभिभावकों को कैसे संतुष्ट करता है। वह छात्रो की संख्या विदयालय में कैसे बढ़ा लेता है।भारत देश की राजधानी दिल्ली में ऐसा हाल है। तो बिहार व यूपी जैसे प्रदेशो में तो स्वाभाविक होगा।दिल्ली के जनकपुरी में नूतन पब्लिक स्कूल, दिग्दर्शन पब्लिक स्कूल आदि के पास मान्यता प्राप्त नही है। और नेहरू पब्लिक स्कूल व लारेन्स पब्लिक स्कूल मान्यता है। पर अध्यापक 12 वी पास कक्षा 8 को पढ़ाते नजर आयेगे।

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