Monday, June 21, 2010

अंधविश्वास - डायन के संदेह में दंपत्ति का गला काटा

उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले के रायरंगपुर अनुमंडल के पास नंगड़थिला गांव में डायन के संदेह में एक दंपत्ति की गला काट कर हत्या कर दी गयी. हत्यारा अब पुलस की गिरफ्त में है.
रायरंगपुर अनुमंडल में नंगड़थिला गांव है. उस गांव में कामो हांसदा अपने परिवार के साथ रहता था. कामो हांसदा का पिता कई सालों से बीमार था. कामो ने अपने पिता का इलाज कई जगह कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उसे शक था कि उसके पड़ोस में रहने वाले लक्ष्मण बेसरा तथा उसकी पत्नी डुमनी बेसरा ने उसके पिता पर जादू टोना कर दिया है. कामो कई दिनों से उस दंपत्ति को जान से मारने के फिराक में था. 20 जून की रात को कामो हांसदा लक्ष्मण के घर गया. वह लक्ष्मण को बाहर बुलाया तथा पास में ही स्थित झाड़ी में ले गया. वहां कामों हांसदा ने कुल्हाड़ी से लक्ष्मण बेसरा का सर काट कर धड़ से अगल कर दिया. उसके बाद कामो हांसदा लक्ष्मण के घर गया और उसी कुल्हाड़ी से उसकी पत्नी डुमरी बेसरा का सर काट दिया. इस नृशंस हत्या के बाद कामो हांसदा फरार हो गया. सुबह मृतक दंपत्ति का पुत्र सुंदर मोहन बेसरा ने अपने परिजन की मौत की खबर गांव वालों को दी. गांव वालों ने इस घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी. पुलिस घटनास्थल से मृतकों का शव अपने कब्जे में लिया तथा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस के अथक प्रयास के बाद कामो हांसदा को पकड़ लिया गया. पुलिस ने उस पर मामला दर्ज कर उसे अदालत भेज दिया.

Friday, June 11, 2010

पाप धोने में जान गयी....

उड़ीसा के मयूरभंज जिले में एक पवित्र तालाब है. लोगों की मान्यता है कि उस तालाब में नहाने से सभी पाप धुल जाते हैं. यह पुराणों में दर्ज है कि इस तालाब में पांडव के भाई भीम स्नान किया करते थे. इसलिए इसे भीमकुंड कहा जाता है. इस तालाब की गहराई लगभग 100 फीट है.
तालाब में अपने पाप दोने के लिए एक महिला, तीन बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हो गयी. पाप धोने गए पर्यटक की तालाब में डूब कर हुई मौत से उक्त पर्यटन स्थल पर कई सवाल खड़े होते हैं. उक्त तालाब में नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं. तालाब में नहाने गए लोगों के पाप इतने ज्यादा थे कि तालाब उनके पाप को धो न सकी.
बात सिर्फ उड़ीसा के भीमकुंड की नहीं है. भारत में ऐसे कई धार्मिक स्थल है जहां ऐसी दुघर्टना अक्सर होती रहती है. कहीं मंदिर में मची भगदड़ से लोग मरते हैं तो कहीं मंदिर तक पहुंचने में लोग मारे जाते हैं. आस्था और अंधिवश्वास दो अलग चीज है. किसी चीज पर आस्था गलत नहीं है, लेकिन उस आस्था का अंधिविश्वास में तब्दील हो जाना ही गलत है. जो लोग पाप दोने गए थे क्या उन्हें पता था कि वे अपने जीवनकाल में कितने पाप किए थे. इसका कोई पैमाना नहीं है और ना ही इन बेतुकी बातों का कोई मतलब है.