Friday, June 11, 2010

पाप धोने में जान गयी....

उड़ीसा के मयूरभंज जिले में एक पवित्र तालाब है. लोगों की मान्यता है कि उस तालाब में नहाने से सभी पाप धुल जाते हैं. यह पुराणों में दर्ज है कि इस तालाब में पांडव के भाई भीम स्नान किया करते थे. इसलिए इसे भीमकुंड कहा जाता है. इस तालाब की गहराई लगभग 100 फीट है.
तालाब में अपने पाप दोने के लिए एक महिला, तीन बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हो गयी. पाप धोने गए पर्यटक की तालाब में डूब कर हुई मौत से उक्त पर्यटन स्थल पर कई सवाल खड़े होते हैं. उक्त तालाब में नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं. तालाब में नहाने गए लोगों के पाप इतने ज्यादा थे कि तालाब उनके पाप को धो न सकी.
बात सिर्फ उड़ीसा के भीमकुंड की नहीं है. भारत में ऐसे कई धार्मिक स्थल है जहां ऐसी दुघर्टना अक्सर होती रहती है. कहीं मंदिर में मची भगदड़ से लोग मरते हैं तो कहीं मंदिर तक पहुंचने में लोग मारे जाते हैं. आस्था और अंधिवश्वास दो अलग चीज है. किसी चीज पर आस्था गलत नहीं है, लेकिन उस आस्था का अंधिविश्वास में तब्दील हो जाना ही गलत है. जो लोग पाप दोने गए थे क्या उन्हें पता था कि वे अपने जीवनकाल में कितने पाप किए थे. इसका कोई पैमाना नहीं है और ना ही इन बेतुकी बातों का कोई मतलब है.

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